लेखक के हिंदी लेखन में कदम रखने का क्रमानुसार वर्णन कीजिए।

मित्रों के सहयोग, बच्चन की प्रेरणा और हिन्दी कविता का वातावरण पाकर लेखक हिन्दी में रचनाएँ करने लगे।

सन 1933 में लेखक की कुछ कविताएँ सरस्वती व चांद पत्रिका में छपीं।


1937 में लेखक ने बच्चन जी के बताए अनुसार 14 पंक्तियों की कविता को लिखने का प्रयास किया।


लेखक ने निशा निमंत्रण के कवि के प्रति एक कविता लिखी जिस पर पंत जी के संशोधन भी हुए।


फिर लेखक रूपाभ के आफिस में प्रशिक्षण लेकर बनारस से प्रकाशित हंस के कार्यालय में काम सँभाला।


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